यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्। तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥

पिछले दो वर्षों में कई महत्वपूर्ण प्रकल्प प्रारंभ हुए हैं, जिनमें शामिल हैं:

साथ ही मुख्यमंत्री महोदय ने अभयारण्य में जल संकट के समाधान हेतु कुंडालिया परियोजना से पानी उपलब्ध कराने की ऐतिहासिक घोषणा अपने जन्मदिवस पर की।

जय गोमाता, जय गोपाल

हमारे बारे में (About Us)

24 दिसम्बर 2012 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक माननीय डॉक्टर मोहन जी भागवत के करकमलों द्वारा तथा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान की अध्यक्षता में 676 हैक्टेयर क्षेत्र में विश्व के प्रथम गो अभयारण्य का भूमि पूजन हुआ। यह अभूतपूर्व पहल 2017 से मध्यप्रदेश गो संवर्धन बोर्ड के माध्यम से संचालित हो रही है और 01 जनवरी 2023 से श्रद्धेय पथमेड़ा बावजी के मार्गदर्शन में श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है।

वर्तमान में इस गो अभयारण्य में 24 स्थायी गोष्ठों में 4800 गोवंश के लिए आवास की व्यवस्था की गई है तथा 5 अस्थायी गोष्ठों में 1900 गोमाताओं के लिए निवास का प्रबंध किया गया है। इस प्रकार कुल 6700 गोवंश यहां आश्रय प्राप्त कर रहे हैं। शेष स्थायी आवासों का निर्माण कार्य शासन के माध्यम से शीघ्र ही पूर्ण किया जाएगा।

वर्तमान में शासन द्वारा 200×80 वर्ग फुट के चार वृहद गोप्रसादम गृह तथा 12 ग्वाल आवासों का निर्माण कराया गया है। इनका लोकार्पण माननीय मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव ने अपने 61वें जन्मदिवस पर, पाप मोचनी एकादशी के पुण्य अवसर पर पशुपालन मंत्री माननीय लखन जी पटेल एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री माननीय गौतम जी टेंटवाल की उपस्थिति में किया।

गो अभयारण्य में 85 घन मीटर क्षमता के चार बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया गया है, जिनकी गैस का उपयोग रसोई में भोजन पकाने तथा विद्युत निर्माण के लिए किया जा रहा है। साथ ही स्लरी से प्रोम खाद और गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन भी किया जा रहा है।

विगत मानसून में गो अभयारण्य में 25,000 छायादार वृक्षों का रोपण किया गया तथा संजीवनी लाइफ समूह, गुजरात की नीतू बहिन के माध्यम से विभिन्न फलदार एवं छायादार वृक्षों का वृक्षारोपण कार्य “कार्बन क्रेडिट” के माध्यम से चलाया जा रहा है। इसका शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री जी ने 1008 आमलकी उपवन में आंवला वृक्षारोपण के साथ किया।

मुख्यमंत्री महोदय ने अपने जन्मदिवस के अवसर पर गोसेवा कर रहे ग्वालों के बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा हेतु “कामधेनु गुरुकुलम” की घोषणा की, साथ ही देश की गोशालाओं के लिए निपुण एवं प्रशिक्षित ग्वाल तैयार करने हेतु ग्वाल प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर श्रीगोधाम पथमेड़ा के प्रबंध न्यासी आदरणीय अम्बालाल जी सुथार द्वारा लिखित “गोसेवक प्रशिक्षण माला” पुस्तक का विमोचन भी हुआ।

गो संवर्धन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम के रूप में मालवी नस्ल की उत्तम नस्ल के लिए श्रेष्ठ नंदियों द्वारा प्रजनन कार्यक्रम भी प्रारंभ किया गया, जिसका लोकार्पण गोवर्धन पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री महोदय द्वारा किया गया।

हमारा मिशन

भारत की सनातन परंपरा में पूज्यनीय गौ माता के संरक्षण, संवर्धन और सेवा के लिए एक आत्मनिर्भर, आधुनिक एवं जैविक गो अभयारण्य की स्थापना करना। गोपालकों, ग्वालों, कृषकों एवं शोधकर्ताओं को गो आधारित आजीविका, शिक्षा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।

हमारी दृष्टि (Vision)

भारत को पुनः गौ-प्रधान राष्ट्र के रूप में स्थापित करना |

गोसंवर्धन, गोसंरक्षण, गो आधारित जैविक कृषि और आत्मनिर्भर ग्राम व्यवस्था को बढ़ावा देना |

कामधेनु को भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का केंद्र बनाना |

हमारे उद्देश्य (Our Objectives)

“मैंने देशभर में कई गौशालाएं देखी हैं, लेकिन कामधेनु गौ अभयारण्य जैसा सेवा, समर्पण और प्रबंधन कहीं नहीं देखा। यहाँ हर गोमाता को परिवार का सदस्य समझा जाता है।” —

अदिति मिश्रा सामाजिक कार्यकर्ता

“यह अभयारण्य केवल गोसेवा तक सीमित नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जैविक कृषि और भारतीय संस्कृति के संवर्धन का भी केंद्र बन चुका है। यहाँ आकर आत्मा को शांति मिलती है।”

विनोद शर्मा पर्यावरणविद्

“कामधेनु गुरुकुलम में मेरे बेटे को केवल पढ़ाई ही नहीं, संस्कार, योग और गोसेवा का महत्व भी सिखाया जा रहा है। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूँ।”

रेखा यादव स्थानीय निवासी

“यहाँ आकर मैंने जाना कि गोबर और गोमूत्र से कितनी उपयोगी वस्तुएं बन सकती हैं। मैं अब खुद भी अपने गांव में जैविक खाद बनाकर खेती कर रहा हूँ।”

धीरज वर्मा युवा किसान

“जब पहली बार अभयारण्य आया, तो गोमाताओं की आंखों में ममता और वातावरण में दिव्यता महसूस हुई। यह स्थान केवल आश्रय नहीं, एक तपोभूमि है।”

स्वामी नित्यानंद आध्यात्मिक मार्गदर्शक

हमारे बारे में लोगों के विचार

यहाँ कामधेनु गौ अभयारण्य से जुड़े कुछ लोगों की सच्ची और प्रेरणादायक समीक्षाएं प्रस्तुत हैं, जो इसके सेवा भाव, वातावरण और नवाचार की सराहना करती हैं: